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Saturday, October 15, 2022
Friday, October 22, 2021
अपने बच्चों
अपने बच्चों को अमीर बनाने का प्रयास मत करो,उन्हें अमीर बनाने की विधी सिखा दो।
Do not try to make your kids rich; instead teach them the method to become rich.
Tuesday, October 19, 2021
Photo from Madan Gopal Garga
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💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा ,हे अर्जुन ,तू मच्चित होकर मेरी कृपा से सब संकटो को पार कर जाएगा। मगर अहंकार के कारण यदि नहीं सुनेगा तो विनिष्ट हो जाएगा। *अंतरात्मा की आवाज को सुनता हुआ मनुष्य सही निर्णय लेता है* तब वह बड़ी भारी मुश्किलों से बाहर निकल जाता है। अन्यथा माया के प्रभाव में आ जाता है महात्मा बुद्ध के भी अपने शिष्यों ने यही सवाल किया था कि पानी में बहती हुई सभी लकड़ियां क्या समुद्र तक पहुंच जाएंगी।और समझाया कि कुछ रास्ते में अटक जाएंगी कुछ ही समुद्र तक पहुंचेंगी। जो रास्ते में रुक गई वह संसार की माया के कारण अपने लक्ष्य समुद्र तक नहीं जा पाती हैं।
💐अर्जुन के रगों में क्षत्रिय स्वभाव है और केवल एक जगह जाकर वह रुक गया है कि हमारे संबंधी हमारे बड़े मारे जाएंगे ।तो कृष्ण ने कहा कि यह धर्म की लड़ाई है निर्णय लिए जा चुके हैं यदि तुम नहीं लड़ोगे,तो प्रकृति स्वयं तुम्हें नष्ट कर देगी। क्योंकि *आप प्रकृति के बस में हैं कीमती अक्ल नहीं है कीमती है आदत और स्वभाव*। व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आदतें सवार रहती हैं इसलिए गुरु के निर्देशन में सभी कार्य करें।
💐हे अर्जुन तुम इस समय मोह वश मेरे निर्देश को मना कर रहे हो, लेकिन तुम अपने व्यक्तित्व और स्वभाव के द्वारा बाध्य होकर ही कर्म करोगे। ईश्वरीय आदेश को करके मनुष्य गौरव को प्राप्त होता है मनुष्य अपने पिछले स्वभाव के कारण वर्तमान में कार्य करता है इसलिए अपने स्वकर्म और स्वधर्म को पहचानना चाहिए *हम अपने को पूरी तरह परिवर्तित भी कर सकते हैं, जिसके लिए भगवान ने पूरी प्रक्रिया अब तक बताइ* और ऐसा परिवर्तन भी होता है कि लोगों को आश्चर्य होता है
💐 महर्षि बाल्मीकि उनकी पिछली भक्ति एक संजोग से जागृत हो गई, इसी तरह अगर हम भी तपस्या में संचित, क्रियमान कर्म को जलाकर अपने को शुद्ध कर लें, और हम अपने सूक्ष्म शरीर से छुटकारा पाकर के मुक्त होने की स्थिति तक पहुंच सके *जो आगे आने वाले कर्म आ रहे हैं वह आएंगे, लेकिन पिछले कर्मों को तो हम जला सकते हैं*
💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अब तो तुम्हें युद्ध करना ही पड़ेगा ।मनुष्य माया लोक के कारण नीचे की तरफ खींचता जाता है ऊपर जाने के लिए *गुरु के निर्देशन में अपने को हल्का करते हुए ऊपर उठना चाहिए* ,जैसे जल वाष्प बनकर उड़ता है ग्रेविटेशन के साथ लैविटेशन को भी ध्यान रखना चाहिए *भगवान के प्रतिनिधि गुरु, जिसकी आवाज ह्रदय में सुनाई दे रही है उस के निर्देशन में संसार में जीवन जीना चाहिए* ,अन्यथा प्रकृति अपने आप कार्य करा लेगी।
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दिनांक 19 अक्टूबर 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः💐💐💐💐💐💐💐💐
Saturday, September 11, 2021
Monday, August 30, 2021
Photo from MG Garga
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💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की, आसुरी वृत्ति के लोग यह मानते हैं कि इस जगत का कोई स्वामी नहीं है, यह काम से प्रेरित संसार, है जिसमें काम ही इस संसार का कारण है ।अन्य कुछ भी नहीं *विश्व को कोई मूल् सत्ता के अधीन नहीं मानते, यह धर्म और अधर्म को कुछ नहीं मानते इस जगत का निर्माण आकस्मिक हुआ है यह उनकी धारणा है* जबकि यह देखा गया है कि बिना व्यवस्था के कोई निर्माण नहीं हुआ है ।और व्यवस्था द्वारा आपको उचित लाभ भी मिलता है। आसुरी वृत्ति के लोग तर्क की बात करते हैं। जबकि ब्रह्मांड 8 चीजों से प्रमाणित है हमारे इतिहास में भी और विभिन्न मत पंतो में भी लोगों ने इसे बहुत ही अलंकारिक ढंग से समझाया। जबकि यह कोई भौगोलिक स्थिति नहीं है परमात्मा के निवास की ।उसे विज्ञान प्रमाणित नहीं करता ,वह अनुभव वाली बात है जबकि *विज्ञान भी यह कहता है कि हम जानकारी प्राप्त करते हुए ,जब अंतिम चरण में पहुंचते हैं तो यह महसूस होता है कि कोई शक्ति तो है*।
💐इस मिथ्या ज्ञान को अवलंबन करके जिसकी बुद्धि नष्ट हो गई है ।वह क्रूर कर्म करते हुए ,इस संसार को नष्ट करने में ही रुचि रखते हैं और अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं ।यह नष्टआत्मा है जिनकी उच्चतर लोको में पहुंचने की संभावना नहीं रहती ।यह *अशुद्धियों से भरे शरीर को ही अपना जीवन मानते हैं यह जगत के शत्रु होते हैं*
💐भगवान ने आगे कहा कि इन 6 आसुरी वृत्तियों से भरे लोग क्या क्या करते हैं ।यह 22 तरह के मद पैदा करते हैं हम इन से मुक्त हो। हमारे जीवन के दो छोर हैं एक है शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष है। *दंभ ,मान से युक्त मोह बस, मिथ्या धारणाओं को रखकर, अशुद्ध संकल्पों के साथ जीवन में कार्य करते हैं। ऐसे लोग आसुरी वृत्ति वाले होते हैं* ।विडंबना यह है कि हम इंद्रियों द्वारा प्राप्त सुख को ही सुख मानते हैं जबकि हमें यह याद रखना चाहिए ,कि राजा ययाति 3 जीवन जिए। लेकिन अंत में यही कहा, कि यह शरीर 300 वर्षों तक जवान रहा, और पता चला कि जैसे आग में घी डालने से वह बुझती नहीं ,उसी तरह *भोगों को भोगने से तृप्ति नहीं मिलती। उल्टे मानसिक भोग की विकृति बढ़ती जाती है* वह पागल की स्थिति को प्राप्त होता है
भगवान की व्यवस्था है कि किसी चीज की मात्रा संतुलित हो तो ,आनंद आता है अन्यथा वह पीड़ा बन जाती है ऐसे अपवित्र संकल्प वाले लोग संसार में विचरण कर के संसार को गलत दिशा में ले जाते हैं ऐसे लोग खुद दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं इतिहास में ऐसे राजा रानी की बहुत सारी कहानियां वर्णित हैं।
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दिनांक 30 अगस्त 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Friday, August 27, 2021
Wednesday, July 7, 2021
भूलना सीखो
भूलना सीखो दुनियाँ की बातों को, भूलना सीखो किसी का भला कर दिया उसको और भूलना सीखो किसी ने कुछ अपशब्द कह दिए उसको।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Monday, July 5, 2021
Bhajan
Sunday, June 13, 2021
संग्रह के रोग को छोडकर
संग्रह के रोग को छोडकर भगवान की ओर जाने का प्रयास करें । उसकी कृपा मिल गई तो समझो सबकुछ मिल गया। यह हमेशा ध्यान रखें कि माल का संग्रह कर उसे सही-सलामत रखने में बहुत बड़ी चिंता होती है, जबकि माला फ़ेरकर प्रभु चिंतन करने में निश्चिंतता आती है। जहाँ निश्चिंतता है वही आनन्द और सुख-शांति है।
परम पूज्य सु्धांशुजी महाराज
Friday, February 5, 2021
प्रार्थना
Wednesday, January 27, 2021
Photo from MG Garga
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💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर जन्म जन्मांतर का पडा हुआ अंधकार का पर्दा, मैं उसे अपने अनुग्रह से दूर कर देता हूं ।जब अज्ञान दूर होता है तो चीजें दिखाई देने लगती हैं महसूस होने लगती हैं और लोग कहते हैं कि संसार और रिश्ते अब समझ में आए ।इसके बाद संसार को देखने की दृष्टि बदल जाती है ।
💐जैसे कागज पर बना हुआ चित्र चमकता हुआ दिखाई देता है। लेकिन वह ज्योतिर्मय नहीं है ज्योतिरमय दीप परमात्मा का है ।वही हमारे अज्ञान के अंधकार को समाप्त करने में सक्षम है हमें जीवन में अपनी प्रतिकूलता याद रहती है प्रतिकूलता के साथ ही अनुकूल दोनों में भी समय का याद नहीं आता हैं इसे सापेक्षता का नियम भी कहते हैं
💐 इसी कारण लोगों को उनके दुखद अनुभव हमेशा याद रहते हैं। इसलिए भारत में बहुत ही अद्भुत परंपरा है कि धान की खेती के समय गीत गाते हुए लोग भक्ति के गीत को गाकर उस कार्य को उत्साह पूर्वक करते हैं ।और कार्य की समाप्ति पर, सामूहिक भोजन करते हैं। इस तरह की व्यवस्था अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप में दिखाई देती है ।
💐यह सभी चीजें सद्गुरु ने 1 वर्ष के भारत भ्रमण में अनुभव किया। क्योंकि उनके सद्गुरु ने कहा था कि जो लोग जीवन जी रहे हैं यह शास्त्र उनकी क्या मदद कर सकता है ?? इस पर हमें कार्य करना चाहिए। ऐसा कोई आदर्श नहीं प्रस्तुत करना ।जिस को पूरा करने में ज्यादा समय लग जाए ।और सरल भाषा में बोलना ।सतगुरु ने महसूस किया कि जहां जहां ज्यादा अमीरी नहीं है वहां के लोग खुशहाल बहुत हैं।
💐 भगवान की कृपा होती है तो मनुष्य के संशय दूर होते हैं इसलिए भगवान कहते है कि मैं अपने प्रकाशित दीप द्वारा ऐसे लोगों का अंधकार दूर करता हूं।
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ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे इन चार लाइनों में।
💐होकर द्रवित उस शुद्ध, श्रद्धा से अनुग्रह के लिए।
💐अंतः करण में बैठ ,उनकी योगबल धारण किए।
💐अज्ञान से उत्पन्न सारे, अंधकारो को सदा।
💐 हू ज्ञान दीपक से धनंजय, नष्ट करता सर्वदा।
क्रमशः 27 जनवरी 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Monday, January 18, 2021
Wednesday, November 18, 2020
Tuesday, November 17, 2020
Sunday, November 15, 2020
Sunday, October 4, 2020
Thursday, August 27, 2020
Photo from Madan Gopal Garga
💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। कि ध्यान के लिए आसन के रूप में, सबसे पहले जमीन पर ,लकड़ी का पाटा ,जो ना तो ज्यादा ऊंचा हो ,और ना तो जमीन के बिल्कुल समीप हो । उसके ऊपर कुश, मृगचर्म, और वस्त्र रखें। इसके साथ ही स्थान पवित्र का चयन करें। मतलब पंचमहाभूत जहां मदद कर सकें। ऐसे रमणीय प्राकृतिक स्थान का चयन करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं हिमालय के बद्रीनाथ नामक स्थान में त प किया ।
💐हमें जीवन में अंत: परीक्षण अवश्य करना चाहिए। मनुष्य को स्वयं चार्ज करना चाहिए। यह तभी होता है जब आप शांत होकर शयन करते हैं ।तो आप ब्रह्मांड की ऊर्जा से अपने को चार्ज करते हैं जिससे प्रातः काल में हम ताजगी अनुभव करते है। इसमें नींद का प्रमुख योगदान है
💐मनुष्य को ब्रह्मांड की ऊर्जा 10% तक मिलती है। सोने के समय करीब 5 घंटे तक आप गहरी नींद में सोते हैं उसके बाद स्वप्न अवस्था होती है। और करीब ऐसी स्थिति में आप 42 बार शरीर को हिलाते ,तथा वापस पुनः नींद में जाना चाहते हैं इन सब के लिए आपको सम वातावरण वाले स्थान में सोना चाहिए। साधना के लिए गुरु नानक देव जी हिमालय के हेमकुंड साहिब में गए।सद्गुरु ने भी अपनी बद्रीनाथ यात्रा का वर्णन किया।
💐जीवन में जब आप ऊपर उठना चाहते हैं ।तो आपकी जड़े भी उतनी ही नीचे गहरी होनी चाहिए। परमात्मा तब आपको चुनता है अपने कार्य को करने के लिए। उस समय पूरी प्रकृति आपको सहयोग देते हुए आप से बड़ा कार्य कराना चाहती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ,भगवान श्रीराम का समुद्र पर सेतु बनाना है इसी तरह आप अपनी प्रतिभा से 1000 गुना बड़ा कार्य कर लेते हैं क्योंकि वह कार्य परमात्मा द्वारा किया जाता है।
💐आप शांत अवस्था में उचित स्थान पर बैठकर परमात्मा से जब जुड़ते हैं। तो वह स्थान भी पूजनीय हो जाता है। क्योंकि वहां परमात्मा का प्रकाश उतरा हुआ रहता है। आप जिस आसन पर बैठे हो, वह आसन कुचालक होना चाहिए। तथा अपनी ध्यान मुद्रा में जब आप स्थिर होते हैं तो ऊर्जा ,विद्युत धारा के रूप में आपके अंदर प्रवाहित होने लगती है।
💐आपका आसन सिंथेटिक नहीं होना चाहिए ।वह उन, सूती, रेशमी होना चाहिए होना चाहिए। जिससे आप में एलर्जी ना पैदा हो सके ।ध्यान की क्रिया में आने वाली वस्तु मैं स्थान, आसन, और जल का पात्र भी होना चाहिए। ध्यान से वापस आने पर आसन को उठाकर जलबूंद डालते हुए तीन बार भूमि को स्पर्श करना चाहिए। और शक्राय नमः, ओम इंद्राय नमः, ॐ शत क्रत्वे नमः कहते हुए फिर दोनों हाथ जोड़ सिर झुका कर प्रणाम करें।
💐 ऐसी स्थिति में जो अतिरिक्त ऊर्जा आप में है वह जमीन में चली जाएगी। ध्यान में जाने वाले व्यक्ति को अचानक आसन से उठना नहीं चाहिए ,अन्यथा आप अपने को अशांत महसूस करेंगे। अंत में दोनों हाथों का घर्षण करते हुए सिर, कंठ, कंधा ,छाती पर रखते हुए नीचे की तरफ जाना चाहिए। और यह भावना रखें कि आंखों में शांति, वाणी में संयम, कंधों में कर्म करने की क्षमता, तथा सहृदय होते हुए जीवन जीने का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
💐ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे इन चार लाइनों में।
💐वह योग अभ्यासी पुरुष, अति शुद्ध सम थल पर सदा।
💐ऊंचा ना हो नीचा अधिक, आसन लगा थि र सर्वदा।
💐तब दर्भ पहिले पुनः मृग, छाला बिछा उस स्थान पर।
💐उस पर बिछ।वे फिर धनंजय शुद्ध बस्त्र पुनीत कर।
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
क्रमशः 27 अगस्त 2020
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Tuesday, August 25, 2020
Wednesday, August 19, 2020
आप कुछ नियम
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Tuesday, June 16, 2020
Photo from Madan Gopal Garga
Thursday, March 12, 2020
Friday, March 6, 2020
Sunday, March 1, 2020
Saturday, February 29, 2020
Monday, January 6, 2020
Friday, January 3, 2020
जीवन संगीत है।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जीवन संगीत है। सुर से बजाओगे तो बहुत अच्छा है, मधुर है और अगर सुर से भूल गए तो शोर है जीवनऔर उसको खुद भी नहीं सुन पाओगे दूसरे तो क्या सुनेगें ।
जीवन है चुनौती । नित नई नई चुनौती बनकर सामने आती हैं । जब आप बहादुर होकर चुनौती को स्वीकार करते हैं
तो वो कुछ न कुछ देकर ही जाएँगी, कुछ लाभ देंगी ।
Wednesday, October 16, 2019
Sunday, July 7, 2019
आपकी शक्तियाँ
Thursday, April 4, 2019
Monday, March 18, 2019
भय ,डर,चिंता से डरना नहीं
Friday, March 1, 2019
Saturday, January 5, 2019
अभ्यास से
अभ्यास से ही आदत बनती है। अच्छाई का अभ्यास लगातार करते जाइए वह आदत बन जाएगी।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Wednesday, December 12, 2018
जैसे दिन को
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Friday, November 30, 2018
Saturday, November 3, 2018
Tuesday, October 30, 2018
Sunday, October 28, 2018
Monday, October 8, 2018
जिस दिन इंसान
Monday, July 16, 2018
बाहर सब लोग
Sunday, June 24, 2018
Wednesday, May 16, 2018
Wednesday, January 31, 2018
Saturday, January 13, 2018
Wednesday, January 3, 2018
आपके अन्दर
Friday, December 15, 2017
आपके अन्दर
Wednesday, November 22, 2017
रक्षा करो प्रेम
Tuesday, November 7, 2017
Sunday, October 29, 2017
Saturday, October 28, 2017
आपसे कीमती
आपसे कीमती कुछ भी नहीं है। स्वंय को पहचानो, अपनी शक्ति अन्दर से जाग्रत करें ।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Wednesday, October 11, 2017
hanuman chalisa
Shree Guru Charan Saroj Raj, Nij Man Mukar Sudhari,
Barnau Raghuvar Bimal Jasu, Jo dayaku Phal Chari
With the dust of Guru's Lotus feet, I clean the mirror of my mind and then
narrate the sacred glory of Sri Ram Chandra, The Supereme among the Raghu
dynasty. The giver of the four attainments of life.
Budhi heen Tanu Janike, Sumirow, Pavan Kumar,
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi, Harahu Kalesh Bikaar
Knowing myself to be ignorent, I urge you, O Hanuman, The son of Pavan! O
Lord! kindly Bestow on me strength, wisdom and knowledge, removing all my
miseries and blemishes.
Jai Hanuman Gyan Guna Sagar
Jai Kipis Tihun Lok Ujgaar
Victory of Thee, O Hanuman, Ocean of wisdom and virtue, victory to the Lord of
monkeys who is well known in all the three worlds
Ramdoot Atulit Bal Dhamaa,
Anjani Putra Pavansut naamaa.
You, the Divine messager of Ram and repository of immeasurable strength, are also
known as Anjaniputra and known as the son of the wind - Pavanputra.
Mahebeer Bikram Bajrangi,
Kumati Nivaar Sumati Ke Sangi.
Oh Hanumanji! You are valiant and brave, with a body like lightening. You are the
dispeller of darkness of evil thoughts and companion of good sense and wisdom.
Kanchan Baran Biraaj Subesaa,
Kanan kundal kunchit kesa.
Shri Hanumanji's physique is golden coloured. His dress is pretty, wearing
'Kundals' ear-rings and his hairs are long and curly.
Hath Bajra Aur Dhvaja Birjai,
Kandhe Moonj Janeu saage.
Shri Hanumanji is holding in one hand a lighting bolt and in the other a banner
with sacred thread across his shoulder.
Shankar Suvna Kesari Nandan,
Tej Pratap Maha Jag Vandan.
Oh Hanumanji! You are the emanation of 'SHIVA' and you delight Shri Keshri.
Being ever effulgent, you and hold vast sway over the universe. The entire
world proptiates. You are adorable of all.
Vidyavaan Guni Ati Chatur,
Ram Kaj Karibe Ko Atur
Oh! Shri Hanumanji! You are the repository learning, virtuous, very wise and
highly keen to do the work of Shri Ram,
Prabhu Charittra Sunibe Ko Rasiya,
Ram Lakhan Sita man basyia.
You are intensely greedy for listening to the naration of Lord Ram's lifestory and
revel on its enjoyment. You ever dwell in the hearts of Shri Ram-Sita and Shri Lakshman.
Sukshma roop Dhari Siyahi Dikhwana,
Bikat roop Dhari Lank Jarawa
You appeared beofre Sita in a diminutive form and spoke to her, while you
assumed an awesome form and struck terror by setting Lanka on fire.
Bhim roop Dhari Asur Sanhare,
Ramchandra Ke kaaj Savare.
He, with his terrible form, killed demons in Lanka and performed all acts of Shri
Ram.
When Hanumanji made Lakshman alive after bringing 'Sanjivni herb' Shri Ram
took him in his deep embrace, his heart full of joy.
Raghupati Kinhi Bahut Badaai,
Tum Mama Priya Bharat Sam Bahi.
Shri Ram lustily extolled Hanumanji's excellence and remarked, "you are as dear
to me as my own brother Bharat"
Sahastra Badan Tumharo Jas Gaave,
Asa kahi Shripati Kanth Laagave.
Shri Ram embraced Hanumanji saying:
"Let the thousand - tongued sheshnaag sing your glories"
Sankadik Brahmadi Muneesa,
Narad Sarad Sahit Aheesa
Sanak and the sages, saints. Lord Brahma, the great hermits Narad and
Goddess Saraswati along with Sheshnag the cosmic serpent, fail to sing the
glories of Hanumanji exactly
Jam Kuber Digpal Jahan Te,
Kabi Kabid Kahin Sake Kahan Te
What to talk of denizens of the earth like poets and scholars ones etc even Gods
like Yamraj, Kuber, and Digpal fail to narrate Hanman's greatness in toto.
Tum Upkar Sugrivahi Keenha,
Ram Miali Rajpad Deenha
Hanumanji! You rendered a great service for Sugriva, It were you who united
him with SHRI RAM and installed him on the Royal Throne.
Tumharo Mantro Bibhishan Maana,
Lankeshwar Bhaye Sab Jag Jaana.
By heeding your advice. Vibhushan became Lord of Lanka, which is known all
over the universe.
Juug Sahastra Jojan Par Bhaanu,
Leelyo Taahi Madhur Phal Jaanu
Hanumanji gulped, the SUN at distance of sixteen thousand miles considering
it to be a sweet fruit.
Prabhu Mudrika Meli Mukha Maaheen,
Jaladhi Langhi Gaye Acharaj Naheen.
Carrying the Lord's ring in his mouth, he went across the ocean. There is no
wonder in that.
Durgam Kaaj Jagat Ke Jeete,
Sugam Anugrah Tumhre Te Te.
Oh Hanumanji! all the difficult tasks in the world are rendered easiest by your
grace.
Ram Duware Tum Rakhavare,
Hot Na Aagya Bin Paisare.
Oh Hanumanji! You are the sentinel at the door of Ram's mercy mansion or His
divine abode. No one may enter without your permission.
Sab Sukh Lahen Tumhari Sarna,
Tum Rakshak Kaahu Ko Darnaa.
By your grace one can enjoy all happiness and one need not have any fear under
your protection.
Aapan Tej Samharo Aapei,
Tanau Lok Hank Te Kanpei
When you roar all the three worlds tremble and only you can control your might.
Bhoot Pisaach Nikat Nahi Avei,
Mahabir Jab Naam Sunavei.
Great Brave on. Hanumanji's name keeps all the Ghosts, Demons & evils spirits
away from his devotees.
Nasei Rog Hare Sab Peera,
Japat Niranter Hanumant Beera
On reciting Hanumanji's holy name regularly all the maladies perish the entire
pain disappears.
Sankat Te Hanuman Chhudavei,
Man Kram Bachan Dhyan Jo Lavei.
Those who rembember Hanumanji in thought, word and deed are well guarded
against their odds in life.
Sub Par Ram Tapasvee Raaja,
Tinke Kaaj Sakal Tum Saaja
Oh Hanumanji! You are the caretaker of even Lord Rama, who has been hailed as
the Supreme Lord and the Monarch of all those devoted in penances.
Aur Manorath Jo Koi Lave,
Soi Amit Jivan Phal Pave.
Oh Hanumanji! You fulfill the desires of those who come to you and bestow
the eternal nectar the highest fruit of life.
Charo Juung Partap Tumhara,
Hai Parsiddha Jagat Ujiyara.
Oh Hanumanji! You magnificent glory is acclaimed far and wide all through the
four ages and your fame is radianlty noted all over the cosmos.
Sadho Sant Ke Tum Rakhvare,
Asur Nikandan Ram Dulare.
Oh Hanumanji! You are the saviour and the guardian angel of saints and sages
and destroy all the Demons, you are the seraphic darling of Shri Ram.
Ashta Siddhi Nau Nidhi Ke Data,
Asa Bar Din Janki Mata.
Hanumanji has been blessed with mother Janki to grant to any one any YOGIC
power of eight Sidhis and Nava Nidhis as per choice.
Ram Rasayan Tumhare Pasa,
Sadaa Raho Raghupati Ke Dasa.
Oh Hanumanji! You hold the essence of devotion to RAM, always remaining His
Servant.
Tumhare Bhajan Ramko Pavei.
Janam Janam Ke Dukh Bisravei.
Oh Hanumanji! through devotion to you, one comes to RAM and becames free
from suffering of several lives.
Anta Kaal Raghubar Pur Jai,
Jahan Janma Hari Bhakta Kahai.
After death he enters the eternal abode of Sri Ram and remains a devotee of
him, whenever, taking new birth on earth.
Aur Devata Chitt Na Dharai,
Hanumant Sei Sarva Sukh Karai
You need not hold any other demigod in mind. Hanumanji alone will give all
happiness.
Sankat Kate Mitey Sab Peera,
Jo Sumirei Hanumant Balbeera
Oh Powerful Hanumanji! You end the sufferings and remove all the pain from
those who remember you.
Jai Jai Jai Hanuman Gosai
Kripa Karahu Gurudev Ki Naiee
Hail-Hail-Hail-Lord Hanumanji! I beseech you Honour to bless me in the
capacity of my supreme 'GURU' (teacher).
Jo Sat Baar Paath Kar Koi,
Chhutahi Bandi Maha Sukh Hoi.
One who recites this Hanuman Chalisa one hundred times daily for one hundred
days becames free from the bondage of life and death and ejoys the highest
bliss at last.
Jo Yah Padhe Hanuman Chalisa,
Hoy Siddhi Sakhi Gaurisa
As Lord Shankar witnesses, all those who recite Hanuman Chalisa regularly are
sure to be benedicted
Tulsidas Sada Hari Chera,
Keeje Nath Hriday Mah Dera.
Tulsidas always the servant of Lord prays. "Oh my Lord! You enshrine within my
heart.!
Chopai
Pavan Tanay Sankat Haran , Mangal Murti Roop.
Ram Lakhan Sita Sahit, Hriday Basahu Sur Bhoop.
O Shri Hanuman, The Son of Pavan, Saviour The Embodiment of
blessings, reside in my heart together with Shri Ram, Laxman and Sita