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Tuesday, June 16, 2020

Photo from Madan Gopal Garga

*गुरु के माध्यम से ही हम तक शास्त्रों, वेदों का सार पहुंचता है : अपनी सरल, मधुर वाणी द्वारा वह हमें ज्ञान प्रदान करते हैं जो सुपाच्य होकर हमारे अंदर उतर सके ! ॐ श्रीगुरुवे नमः !हरि ॐ !*💐🙏🕉️🙏 
🙏🚩ॐ श्री गुरवे नमः🚩🙏
     अभी आप एक तरफ  (जगत्)  से ही जुड़े हैं, आपको परमात्मा का कुछ पता ही नहीं है। अनादि काल से आप देह मानकर जीते हैं, देह से जुड़े हैं , सो जाते हैं फिर जागकर देह से ही जुड़ जाते हैं। आप स्वप्न भी देह का ही देखते हैं, साक्षी या ब्रह्म का स्वप्न भी नहीं देखते। आप जागृत में भी कभी नहीं सोचते। आपको साक्षी होना है। साक्षी को साक्षी नहीं होना। साक्षी तो पहले से रहा है , परमात्मा तो पहले से रहा है । क्या जिस दिन आप ढूढ़ेंगे, तब परमात्मा होगा ? जिस दिन आप मिलेंगे, उस दिन परमात्मा होगा? क्या उसके पहले नहीं था ?
    यदि घड़ा मिट्टी को न जाने तो क्या मिट्टी नहीं है ? अब प्रश्न यह है कि घड़ा क्यों जाने ? घड़ा मर रहा है , तो जाने। मिट्टी न मर रही है , न उसे कोई मतलब है। जो भूला है, वह याद करे । जो अज्ञानी है , वह ज्ञान प्राप्त करे । जो दुःखी है , वह खोजे । भगवान क्यों खोजे ? भगवान को क्या अटकी पड़ी है ? देह क्यों रोए? पेड़ नहीं रोता, दीवार नहीं रोती, मकान नहीं रोता। क्या आपका देह रोता है आपके लिए ? कौन रोता है धन के लिए ? जो धन के लिए रोता है, उसका रोना मिट जाए, इसके लिए परम धन से मिलना होगा।
     प्रयत्न न परमात्मा में है, न संसार में। न संसार को कुछ करना है ,न परमात्मा को कुछ करना है। जो कुछ करना है , (जीव को) आपको करना है। थोड़ा - सा काम आपका है ,आप करें और थोड़ा - सा काम गुरु करवाते हैं । परमात्मा कुछ नहीं करने वाले।
    अब आप कुछ करें या ऐसे ही बने रहें। अरे ! आप इस शरीर  को कहें कि कुछ करे। यदि नहीं तो जड़- जगत् उपदेश का पात्र नहीं। न ब्रह्म को साधना करनी है और न शरीर को साधना करनी है ।यदि शरीर में रहने वाला जीव चाहे तो साधना करे ।
*जीव और ब्रह्म का नित्य संबंध:-*
🙏🚩ॐ श्री गुरवे नमः🚩🙏
*( गुरुवाणी पुस्तक-देहोऽहम् से चैतन्योऽहम् तक यात्रा* भाग 6