🙏आज गीता के अमृत ज्ञान में सद्गुरु ने कल के प्रवचन का विस्तारीकरण करते हुए प्रकाशित दीप की चर्चा की।
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💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर जन्म जन्मांतर का पडा हुआ अंधकार का पर्दा, मैं उसे अपने अनुग्रह से दूर कर देता हूं ।जब अज्ञान दूर होता है तो चीजें दिखाई देने लगती हैं महसूस होने लगती हैं और लोग कहते हैं कि संसार और रिश्ते अब समझ में आए ।इसके बाद संसार को देखने की दृष्टि बदल जाती है ।
💐जैसे कागज पर बना हुआ चित्र चमकता हुआ दिखाई देता है। लेकिन वह ज्योतिर्मय नहीं है ज्योतिरमय दीप परमात्मा का है ।वही हमारे अज्ञान के अंधकार को समाप्त करने में सक्षम है हमें जीवन में अपनी प्रतिकूलता याद रहती है प्रतिकूलता के साथ ही अनुकूल दोनों में भी समय का याद नहीं आता हैं इसे सापेक्षता का नियम भी कहते हैं
💐 इसी कारण लोगों को उनके दुखद अनुभव हमेशा याद रहते हैं। इसलिए भारत में बहुत ही अद्भुत परंपरा है कि धान की खेती के समय गीत गाते हुए लोग भक्ति के गीत को गाकर उस कार्य को उत्साह पूर्वक करते हैं ।और कार्य की समाप्ति पर, सामूहिक भोजन करते हैं। इस तरह की व्यवस्था अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप में दिखाई देती है ।
💐यह सभी चीजें सद्गुरु ने 1 वर्ष के भारत भ्रमण में अनुभव किया। क्योंकि उनके सद्गुरु ने कहा था कि जो लोग जीवन जी रहे हैं यह शास्त्र उनकी क्या मदद कर सकता है ?? इस पर हमें कार्य करना चाहिए। ऐसा कोई आदर्श नहीं प्रस्तुत करना ।जिस को पूरा करने में ज्यादा समय लग जाए ।और सरल भाषा में बोलना ।सतगुरु ने महसूस किया कि जहां जहां ज्यादा अमीरी नहीं है वहां के लोग खुशहाल बहुत हैं।
💐 भगवान की कृपा होती है तो मनुष्य के संशय दूर होते हैं इसलिए भगवान कहते है कि मैं अपने प्रकाशित दीप द्वारा ऐसे लोगों का अंधकार दूर करता हूं।
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ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे इन चार लाइनों में।
💐होकर द्रवित उस शुद्ध, श्रद्धा से अनुग्रह के लिए।
💐अंतः करण में बैठ ,उनकी योगबल धारण किए।
💐अज्ञान से उत्पन्न सारे, अंधकारो को सदा।
💐 हू ज्ञान दीपक से धनंजय, नष्ट करता सर्वदा।
क्रमशः 27 जनवरी 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर जन्म जन्मांतर का पडा हुआ अंधकार का पर्दा, मैं उसे अपने अनुग्रह से दूर कर देता हूं ।जब अज्ञान दूर होता है तो चीजें दिखाई देने लगती हैं महसूस होने लगती हैं और लोग कहते हैं कि संसार और रिश्ते अब समझ में आए ।इसके बाद संसार को देखने की दृष्टि बदल जाती है ।
💐जैसे कागज पर बना हुआ चित्र चमकता हुआ दिखाई देता है। लेकिन वह ज्योतिर्मय नहीं है ज्योतिरमय दीप परमात्मा का है ।वही हमारे अज्ञान के अंधकार को समाप्त करने में सक्षम है हमें जीवन में अपनी प्रतिकूलता याद रहती है प्रतिकूलता के साथ ही अनुकूल दोनों में भी समय का याद नहीं आता हैं इसे सापेक्षता का नियम भी कहते हैं
💐 इसी कारण लोगों को उनके दुखद अनुभव हमेशा याद रहते हैं। इसलिए भारत में बहुत ही अद्भुत परंपरा है कि धान की खेती के समय गीत गाते हुए लोग भक्ति के गीत को गाकर उस कार्य को उत्साह पूर्वक करते हैं ।और कार्य की समाप्ति पर, सामूहिक भोजन करते हैं। इस तरह की व्यवस्था अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप में दिखाई देती है ।
💐यह सभी चीजें सद्गुरु ने 1 वर्ष के भारत भ्रमण में अनुभव किया। क्योंकि उनके सद्गुरु ने कहा था कि जो लोग जीवन जी रहे हैं यह शास्त्र उनकी क्या मदद कर सकता है ?? इस पर हमें कार्य करना चाहिए। ऐसा कोई आदर्श नहीं प्रस्तुत करना ।जिस को पूरा करने में ज्यादा समय लग जाए ।और सरल भाषा में बोलना ।सतगुरु ने महसूस किया कि जहां जहां ज्यादा अमीरी नहीं है वहां के लोग खुशहाल बहुत हैं।
💐 भगवान की कृपा होती है तो मनुष्य के संशय दूर होते हैं इसलिए भगवान कहते है कि मैं अपने प्रकाशित दीप द्वारा ऐसे लोगों का अंधकार दूर करता हूं।
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ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे इन चार लाइनों में।
💐होकर द्रवित उस शुद्ध, श्रद्धा से अनुग्रह के लिए।
💐अंतः करण में बैठ ,उनकी योगबल धारण किए।
💐अज्ञान से उत्पन्न सारे, अंधकारो को सदा।
💐 हू ज्ञान दीपक से धनंजय, नष्ट करता सर्वदा।
क्रमशः 27 जनवरी 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏