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Friday, October 22, 2021

अपने बच्चों





अपने बच्चों को अमीर बनाने का प्रयास मत करो,उन्हें अमीर बनाने की विधी सिखा दो।

 

Do not try to make your kids rich; instead teach them the method to become rich.

Tuesday, October 19, 2021

Photo from Madan Gopal Garga

*आज गीता के अमृत ज्ञान में सतगुरु ने 💐अपने कर्तव्य और धर्म का पालन करो💐 यह बताया*।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा ,हे अर्जुन ,तू मच्चित होकर मेरी कृपा से सब संकटो को पार कर जाएगा। मगर अहंकार के कारण यदि नहीं सुनेगा तो विनिष्ट हो जाएगा। *अंतरात्मा की आवाज को सुनता हुआ मनुष्य सही निर्णय लेता है* तब वह बड़ी भारी मुश्किलों से बाहर निकल जाता है। अन्यथा माया के प्रभाव में आ जाता है महात्मा बुद्ध के भी अपने शिष्यों ने यही सवाल किया था कि पानी में बहती हुई सभी लकड़ियां क्या समुद्र तक पहुंच जाएंगी।और समझाया कि कुछ रास्ते में अटक जाएंगी कुछ ही समुद्र तक पहुंचेंगी। जो रास्ते में रुक गई वह संसार की माया के कारण अपने लक्ष्य समुद्र तक नहीं जा पाती हैं।

💐अर्जुन के रगों में क्षत्रिय स्वभाव है और केवल एक जगह जाकर वह रुक गया है कि हमारे संबंधी हमारे बड़े मारे जाएंगे ।तो कृष्ण ने कहा कि यह धर्म की लड़ाई है निर्णय लिए जा चुके हैं यदि तुम नहीं  लड़ोगे,तो प्रकृति स्वयं तुम्हें नष्ट कर देगी। क्योंकि *आप प्रकृति के बस में हैं कीमती अक्ल नहीं है कीमती है आदत और स्वभाव*। व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आदतें सवार रहती हैं इसलिए गुरु के निर्देशन में सभी कार्य करें।

💐हे अर्जुन तुम इस समय मोह वश मेरे निर्देश को मना कर रहे हो, लेकिन तुम अपने व्यक्तित्व और स्वभाव के द्वारा बाध्य होकर ही कर्म करोगे। ईश्वरीय आदेश को करके मनुष्य गौरव को प्राप्त होता है मनुष्य अपने पिछले स्वभाव के कारण वर्तमान में कार्य करता है इसलिए अपने स्वकर्म और स्वधर्म को पहचानना चाहिए *हम अपने को पूरी तरह परिवर्तित भी कर सकते हैं, जिसके लिए भगवान ने पूरी प्रक्रिया अब तक बताइ* और ऐसा परिवर्तन भी होता है कि लोगों को आश्चर्य होता है

💐 महर्षि बाल्मीकि उनकी पिछली भक्ति एक संजोग से जागृत हो गई, इसी तरह अगर हम भी तपस्या में संचित, क्रियमान कर्म को जलाकर अपने को शुद्ध कर लें, और हम अपने सूक्ष्म शरीर से छुटकारा पाकर के मुक्त होने की स्थिति तक पहुंच सके *जो आगे आने वाले कर्म आ रहे हैं वह आएंगे, लेकिन पिछले कर्मों को तो हम जला सकते हैं*

💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अब तो तुम्हें युद्ध करना ही पड़ेगा ।मनुष्य माया लोक के कारण नीचे की तरफ खींचता जाता है ऊपर जाने के लिए *गुरु के निर्देशन में अपने को हल्का करते हुए ऊपर उठना चाहिए* ,जैसे जल वाष्प बनकर उड़ता है ग्रेविटेशन के साथ लैविटेशन को भी ध्यान रखना चाहिए *भगवान के प्रतिनिधि गुरु, जिसकी आवाज ह्रदय में सुनाई दे रही है उस के निर्देशन में संसार में जीवन जीना चाहिए* ,अन्यथा प्रकृति अपने आप कार्य करा लेगी।
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दिनांक 19 अक्टूबर 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः💐💐💐💐💐💐💐💐 

Saturday, September 11, 2021

हरि बोल 🙏🏻
इस👇 कथा को पढो बहुत अच्छी है 

*सुखी रहने का तरीका*
*********************

      *एक बार की बात है संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला-*

*गुरूजी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं, ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं? कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए?*

*संत बोले- मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ !*

*"मेरा रहस्य! वह क्या है गुरु जी?" शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।*

*"तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो!" संत तुकाराम दुखी होते हुए बोले।*

*कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था?*

*शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहां से चला गया।*

*उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पूरे होने को आये।*

*शिष्य ने सोचा चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला-*

*गुरुजी, मेरा समय पूरा होने वाला है, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये!"*

*"मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र। अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?"*

*संत तुकाराम ने प्रश्न किया।*

*"नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गँवा सकता था?*
*मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी" शिष्य तत्परता से बोला।*

*"संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले, "बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।"*
*"मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ, और यही मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।*

*शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था ।*

*वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचें हैं 😗

*रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं है ।*

🌹👏  *"आइये आज से परिवर्तन आरम्भ करें  और  हरे कृष्ण महामंत्र का जप करे*

🙏🏻सदैव जपिये...
जयश्री कृष्ण
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*

                   🙏🏻खुश रहिये.....☺🙏🏻

Monday, August 30, 2021

Photo from MG Garga

*आज गीता के अमृत ज्ञान  में सतगुरु ने  💐आसुरी वृत्ति के लोग कैसे होते हैं💐 यह समझाया*।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की, आसुरी वृत्ति के लोग यह मानते हैं कि इस जगत का कोई स्वामी नहीं है, यह काम से प्रेरित संसार, है जिसमें काम ही इस संसार का कारण है ।अन्य कुछ भी नहीं *विश्व को कोई मूल् सत्ता के अधीन नहीं मानते, यह धर्म और अधर्म को कुछ नहीं मानते इस जगत का निर्माण आकस्मिक हुआ है यह उनकी धारणा है* जबकि यह देखा गया है कि बिना व्यवस्था के कोई निर्माण नहीं हुआ है ।और व्यवस्था द्वारा आपको उचित लाभ भी मिलता है। आसुरी वृत्ति के लोग तर्क की बात करते हैं। जबकि ब्रह्मांड 8 चीजों से प्रमाणित है हमारे इतिहास में भी और विभिन्न मत पंतो में भी लोगों ने इसे बहुत ही अलंकारिक ढंग से समझाया। जबकि यह कोई भौगोलिक स्थिति नहीं है परमात्मा के निवास की ।उसे विज्ञान प्रमाणित नहीं करता ,वह अनुभव वाली बात है जबकि *विज्ञान भी यह कहता है कि हम जानकारी प्राप्त करते हुए ,जब अंतिम चरण में पहुंचते हैं तो यह महसूस होता है कि कोई शक्ति तो है*।

💐इस  मिथ्या ज्ञान को अवलंबन करके जिसकी बुद्धि नष्ट हो गई है ।वह क्रूर कर्म करते हुए ,इस संसार को नष्ट करने में ही रुचि रखते हैं और अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं ।यह नष्टआत्मा है जिनकी उच्चतर लोको में पहुंचने की संभावना नहीं रहती ।यह *अशुद्धियों से भरे शरीर को ही अपना जीवन मानते हैं  यह जगत के शत्रु होते हैं*

💐भगवान ने आगे कहा कि इन 6 आसुरी वृत्तियों से भरे लोग क्या क्या करते हैं ।यह 22 तरह के मद पैदा करते हैं हम इन से मुक्त हो। हमारे जीवन के दो छोर हैं एक है शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष है। *दंभ ,मान से युक्त मोह बस, मिथ्या धारणाओं को रखकर, अशुद्ध संकल्पों के साथ जीवन में कार्य करते हैं। ऐसे लोग आसुरी वृत्ति वाले होते हैं* ।विडंबना यह है कि हम इंद्रियों द्वारा प्राप्त सुख को ही सुख मानते हैं जबकि हमें यह याद रखना चाहिए ,कि राजा ययाति 3 जीवन जिए। लेकिन अंत में यही कहा, कि यह शरीर 300 वर्षों तक जवान रहा, और पता चला कि जैसे आग में घी डालने से वह बुझती नहीं ,उसी तरह *भोगों को भोगने से तृप्ति नहीं मिलती। उल्टे मानसिक भोग की विकृति बढ़ती जाती है* वह पागल की स्थिति को प्राप्त होता है
भगवान की व्यवस्था है कि किसी चीज की मात्रा संतुलित हो तो ,आनंद आता है अन्यथा वह पीड़ा बन जाती है ऐसे अपवित्र संकल्प वाले लोग संसार में विचरण कर के संसार को गलत दिशा में ले जाते हैं ऐसे लोग खुद दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं इतिहास में ऐसे राजा रानी की बहुत सारी कहानियां वर्णित हैं।
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
दिनांक 30 अगस्त 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 

Friday, August 27, 2021

*🌸 सहजोबाई 🌸🙏🏻*

आज सहजो अपनी कुटिया के द्वार पर बैठी है, उसकी गुरुभक्ति से प्रसन्न होकर परमात्मा उसके सामने प्रकट हुए हैं । लेकिन सहजो के अन्दर कोई उत्साह नहीं है 

परमात्मा ने कहा - सहजो हम स्वयं चलकर आऐ हैं क्या तुम्हे हर्ष नही हो रहा ?

 सहजो ने कहा -- प्रभु ! ये तो आपने अहेतुक कृपा की है, पर मुझे तोआपके दर्शन की भी कामना नही थी।

परमात्मा को झटका लगा।
सहजो तेरे पास ऐसा क्या है ?,  
जो तू मेरा आतिथ्य भी नही करती है ! 

सहजो ने कहा-  मेरे पास मेरा सद्गुरु पूर्ण समर्थ है। भगवन ! मैने आपको अपने सद्गुरु मे पा लिया है, मैं परमात्म तत्व का दर्शन भी करना चाहती हूँ तो केवल अपने सद्गुरु के ही रूप मे। मुझे आपके दर्शनो की कोई अभिलाषा नही है

यदि मै गुरुदेव को कहती तो वह कभी का आपको उठाकर मेरी झोली मे डाल देते।

ये भाव देखकर आज परमात्मा पिघल गया। कहते है - सहजो मुझे अदंर आने के लिए नही कहोगी ?
 
सहजो कहती है- प्रभु मेरी कुटिया के भीतर एक ही आसन है और उस पर भी मेरे सद्गुरु विराजते हैं, क्या आप भूमि पर बैठकर मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगें ?

  भगवान् कहे तुम जहाँ कहोगी हम वहाँ बैठेंगें, भीतर तो आने दो।

भगवान् देखते हैं सचमुच एक ही आसन है, वे भूमि पर ही बैठ गए।

कहा -- सहजो !  मैं जहाँ जाता हूँ कुछ न कुछ देता हूँ ऐसा मेरा नियम है । कुछ माँग ही लो। सहजो कहती है -- प्रभु! मेरे जीवन मे कोई कामना नही है।  प्रभु ने कहा  फिर भी कुछ तो माँग लो । सहजो ने कहा प्रभु ! आप  मुझे क्या दोगे ? 

आप तो स्वयं एक दान हो, जिसे मेरा दाता सद्गुरु अपने अनन्य भक्त को जब चाहे दान कर देता है। अब बताओ प्रभु !  दान बड़ा या दाता ? 

आपने तो प्राणी को जन्म मरण, रोग भोग, सुख दुख मे उलझाया, ये तो मेरे सदगुरु दीनदयाल ने कृपा कर हर प्राणी को विधि बताकर, राह पकड़ा कर, शरण में आये हुए को सहारा देकर उसे निर्भय बनाकर उस द्वन्द से छुड़ाया।

प्रभु मुस्कराते हुए कहते हैं, सहजो ! आज मेरी मर्यादा रख ले, कुछ सेवा ही दे दे।
सहजो ने कहा - प्रभु एक सेवा है, मेरे सद्गुरु आने वाले हैं, जब मैं उन्हे भोजन कराऊँ तो क्या आप उनके पीछे खड़े होकर चमर डुला सकते हो ?

 कथा कहती है कि प्रभु ने सहजो के गुरु चरणदास पर चमर डुलाया। यही है सद्गुरु के प्रति सच्ची समर्पण! , साधक के अंदर अगर स्वर्ग तक की कामना जागृत हो जाय

उसे दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि मुझे कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है, यह तो मेरे सच्चे बादशाह यूं ही दे देंगे, लेकिन कब ? जब उसमे मेरा कल्याण होगा
🙏🏻🙏🏻

Wednesday, July 7, 2021

भूलना सीखो

भूलना सीखो दुनियाँ की बातों को, भूलना सीखो किसी का भला कर दिया उसको और भूलना सीखो किसी ने कुछ अपशब्द कह दिए उसको।

 

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Monday, July 5, 2021

Bhajan

🌸 *पूज्यश्री के मधुर स्वरों में अमृतमय भजन - 41*🌸

*किसने दीप जलाया, दीप जलाकर किया उजाला*

*इस मधुर भजन को सुनने के पश्चात लाईक एवं सब्सक्राइब अवश्य कीजिए।*



Sunday, June 13, 2021

संग्रह के रोग को छोडकर

संग्रह के रोग को छोडकर भगवान की ओर जाने का प्रयास करें । उसकी कृपा मिल गई तो समझो सबकुछ मिल गया। यह हमेशा ध्यान रखें कि माल का संग्रह कर उसे सही-सलामत रखने में बहुत बड़ी चिंता होती है, जबकि माला फ़ेरकर प्रभु चिंतन करने में निश्चिंतता आती है। जहाँ निश्चिंतता है वही आनन्द और सुख-शांति है।

 

परम पूज्य सु्धांशुजी महाराज  

Friday, February 5, 2021

प्रार्थना

🌹 *प्रार्थना*🌹

          *हे प्रभु हमारा ह्रदय आपके श्री चरणों से जुडे रहें। हे जीवन के आधार। सुख स्वरूप सच्चिदानंद परमेशवर! समस्त संसार में आपने अपनी कृपाओं को बिखेरा हुआ है। हमारा क्षद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो।* 
        हे प्रभु। जब हम अपने अंतर्मन में शान्ति स्थापित करते हैं तब हमारे अन्तःस्थल में आपके आनन्द की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं और हमारा रोम-रोम आनन्द से पुलकित होने लगता है। जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण और प्रेमपूर्ण हो जाता है। 
         हे प्रभु! हमारा ह्रदय आपसे जुडा रहे। हम पर आपकी कृपा बरसती रहे। हमारा मन आपके श्रीचरणों में लगा रहे, यह आशीर्वाद हमें अवश्य दो। 
      हम हर दिन नया उजाला, नई उमंगें, नया उल्लास लेकर जीवन के पथ पर अग्रसर हो सकें। ऐसी हमारे ऊपर कृपा कीजिए। 
       हे दयालु दाता। हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हम प्रत्येक दिन को शुभ अवसर बना सकें। प्रत्येक दिन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें ऐसी शक्ति प्रदान कीजिए कि जिससे हम संघर्ष में विजयी हों। 
        हमारे द्वारा संसार में कुछ भी बुरा न हो, प्रेमपूर्ण वातावरण में श्वास ले सकें तथा प्रेम को संपूर्ण संसार में बाँट सकें। 
     *हे प्रभु! हमें यह शुभाशीष दीजिए। यही आपसे हमारी विनती है, यही याचना है। इसे स्वीकार कीजिए।*

*ॐ शांतिः शांतिः शांतिः*🌹

Wednesday, January 27, 2021

Photo from MG Garga

🙏आज गीता के अमृत ज्ञान में सद्गुरु ने कल के प्रवचन का विस्तारीकरण करते हुए प्रकाशित दीप की चर्चा की।
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💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर जन्म जन्मांतर का पडा हुआ अंधकार का पर्दा, मैं उसे अपने अनुग्रह से दूर कर देता हूं ।जब अज्ञान दूर होता है तो चीजें दिखाई देने लगती हैं महसूस होने लगती हैं और लोग कहते हैं कि संसार और रिश्ते अब समझ में आए ।इसके बाद संसार को देखने की दृष्टि बदल जाती है ।

💐जैसे कागज पर बना हुआ चित्र चमकता हुआ दिखाई देता है। लेकिन वह ज्योतिर्मय नहीं है ज्योतिरमय दीप परमात्मा का है ।वही हमारे अज्ञान के अंधकार को समाप्त करने में सक्षम है हमें जीवन में अपनी प्रतिकूलता याद रहती है प्रतिकूलता के साथ ही अनुकूल  दोनों में भी समय का याद नहीं आता  हैं इसे सापेक्षता का नियम भी कहते हैं

💐 इसी कारण लोगों को उनके दुखद अनुभव हमेशा याद रहते हैं। इसलिए भारत में बहुत ही अद्भुत परंपरा है कि धान की खेती के समय गीत गाते  हुए लोग भक्ति के गीत को गाकर उस कार्य को उत्साह पूर्वक करते हैं ।और कार्य की समाप्ति पर, सामूहिक भोजन करते हैं। इस तरह की व्यवस्था अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप में दिखाई देती है ।

💐यह सभी चीजें सद्गुरु ने 1 वर्ष के भारत भ्रमण में अनुभव किया। क्योंकि उनके सद्गुरु ने कहा था कि जो लोग जीवन जी रहे हैं यह शास्त्र उनकी क्या मदद कर सकता है ?? इस पर हमें कार्य करना चाहिए। ऐसा कोई आदर्श नहीं प्रस्तुत करना ।जिस को पूरा करने में ज्यादा समय लग जाए ।और सरल भाषा में बोलना ।सतगुरु ने महसूस किया कि जहां जहां ज्यादा अमीरी नहीं है वहां के लोग खुशहाल बहुत हैं।

💐 भगवान की कृपा होती है तो मनुष्य के संशय दूर होते हैं इसलिए भगवान कहते है कि मैं  अपने प्रकाशित दीप द्वारा  ऐसे लोगों का अंधकार दूर करता हूं।
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ऊपर कहे गए शब्दों का सार नीचे इन चार लाइनों में।

💐होकर द्रवित उस शुद्ध, श्रद्धा से अनुग्रह के लिए।

💐अंतः करण में बैठ ,उनकी योगबल धारण किए।

💐अज्ञान से उत्पन्न सारे, अंधकारो को सदा।

💐 हू ज्ञान दीपक से धनंजय, नष्ट करता सर्वदा।

क्रमशः 27 जनवरी 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏