Find Samsung Products

171570_Find Samsung Products - The Wonder Of Home Entertainment Solutions At Abt.com

amazon code

welcom on this blog

PLEASE SEE UPTO END

AdSense code

Monday, August 30, 2021

Photo from MG Garga

*आज गीता के अमृत ज्ञान  में सतगुरु ने  💐आसुरी वृत्ति के लोग कैसे होते हैं💐 यह समझाया*।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

💐भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की, आसुरी वृत्ति के लोग यह मानते हैं कि इस जगत का कोई स्वामी नहीं है, यह काम से प्रेरित संसार, है जिसमें काम ही इस संसार का कारण है ।अन्य कुछ भी नहीं *विश्व को कोई मूल् सत्ता के अधीन नहीं मानते, यह धर्म और अधर्म को कुछ नहीं मानते इस जगत का निर्माण आकस्मिक हुआ है यह उनकी धारणा है* जबकि यह देखा गया है कि बिना व्यवस्था के कोई निर्माण नहीं हुआ है ।और व्यवस्था द्वारा आपको उचित लाभ भी मिलता है। आसुरी वृत्ति के लोग तर्क की बात करते हैं। जबकि ब्रह्मांड 8 चीजों से प्रमाणित है हमारे इतिहास में भी और विभिन्न मत पंतो में भी लोगों ने इसे बहुत ही अलंकारिक ढंग से समझाया। जबकि यह कोई भौगोलिक स्थिति नहीं है परमात्मा के निवास की ।उसे विज्ञान प्रमाणित नहीं करता ,वह अनुभव वाली बात है जबकि *विज्ञान भी यह कहता है कि हम जानकारी प्राप्त करते हुए ,जब अंतिम चरण में पहुंचते हैं तो यह महसूस होता है कि कोई शक्ति तो है*।

💐इस  मिथ्या ज्ञान को अवलंबन करके जिसकी बुद्धि नष्ट हो गई है ।वह क्रूर कर्म करते हुए ,इस संसार को नष्ट करने में ही रुचि रखते हैं और अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं ।यह नष्टआत्मा है जिनकी उच्चतर लोको में पहुंचने की संभावना नहीं रहती ।यह *अशुद्धियों से भरे शरीर को ही अपना जीवन मानते हैं  यह जगत के शत्रु होते हैं*

💐भगवान ने आगे कहा कि इन 6 आसुरी वृत्तियों से भरे लोग क्या क्या करते हैं ।यह 22 तरह के मद पैदा करते हैं हम इन से मुक्त हो। हमारे जीवन के दो छोर हैं एक है शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष है। *दंभ ,मान से युक्त मोह बस, मिथ्या धारणाओं को रखकर, अशुद्ध संकल्पों के साथ जीवन में कार्य करते हैं। ऐसे लोग आसुरी वृत्ति वाले होते हैं* ।विडंबना यह है कि हम इंद्रियों द्वारा प्राप्त सुख को ही सुख मानते हैं जबकि हमें यह याद रखना चाहिए ,कि राजा ययाति 3 जीवन जिए। लेकिन अंत में यही कहा, कि यह शरीर 300 वर्षों तक जवान रहा, और पता चला कि जैसे आग में घी डालने से वह बुझती नहीं ,उसी तरह *भोगों को भोगने से तृप्ति नहीं मिलती। उल्टे मानसिक भोग की विकृति बढ़ती जाती है* वह पागल की स्थिति को प्राप्त होता है
भगवान की व्यवस्था है कि किसी चीज की मात्रा संतुलित हो तो ,आनंद आता है अन्यथा वह पीड़ा बन जाती है ऐसे अपवित्र संकल्प वाले लोग संसार में विचरण कर के संसार को गलत दिशा में ले जाते हैं ऐसे लोग खुद दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं इतिहास में ऐसे राजा रानी की बहुत सारी कहानियां वर्णित हैं।
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
दिनांक 30 अगस्त 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 

No comments: